*नक्सलियों के कब्जे में चाईबासा का जंगली इलाका, सुरक्षाबल और आम लोगों को बना रहा निशाना,जानिए एक विश्लेषण*
रांची – झारखंड के कोल्हान क्षेत्र का जंगली इलाका बारूदी सुरंग के जाल से पटा हुआ है. यहां के घने जंगल में कई जवान और ग्रामीण के खून से अक्सर लाल हो रहा है.
हाल के दिनों में नक्सली हिंसा के मामले बढ़े है.गुरुवार को भी आईईडी ब्लास्ट की घटना हुई है.ताज़ा मामला कोल्हान के टोंटों थाना क्षेत्र के तुंबाहाका और सरोजम बुरु गांव के पास IED ब्लास्ट में चार जवान घायल हो गए. वहीं एक crpf के कोबरा बटालियन के सब इंस्पेक्टर के शहीद होने की सूचना आई है. आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. पिछले लगभग दो वर्ष से कोल्हान में नक्सलियों के खात्मे को लेकर सुरक्षा बल जंगलों में अभियान चला रहे है. इस जंगल में माओवादी के बड़े नेता एक करोड़ के इनामी मिसिर बेसरा,एनल दा, प्रमोद मिश्रा अपने दस्ते के साथ घूमते रहते हैं.
बता दें कि सुबह सुरक्षा बल के जवान नक्सली दस्ते की सूचना होने पर अभियान पर निकले थे. इसी दौरान तुंबाहाका और सरोजम बुरु गांव के पास IED ब्लास्ट हुआ और इसकी चपेट में चार जवान आ गए.घायल जवानों को एयरलिफ्ट कर रांची लाया गया. कोल्हान के जंगल से एयरलिफ्ट कर सभी घायल को रांची के खेलगाँव लाया गया जहां से फिर ग्रीन कॉरीडोर बना कर मेडिका में भर्ती कराया गया है.
उल्लेखनीय है कि कोल्हान को माओवादी अपना सुरक्षित ठिकाना समझ रहे थे. कई सालों से इस घने जंगल में रह रहे थे.लेकिन अब पुलिसिया दबिश बढ़ी तो नक्सलियों के पैर उखड़ने लगे हैं.पुलिस जैसे जैसे आगे बढ़ रही है वैसे ही नक्सली बेचैनी में आईईडी का जाल बिछा कर सुरक्षाबल के जवानों को नुकसान पहुंचा रहे हैं.अगर सिर्फ वर्ष 2023 की बात करें तो करीब एक दर्जन जवान घायल हुए है वहीं चार शहीद हुए हैं.
8 सितंबर को चाईबासा में नक्सलियों ने मुखबिरी के आरोप में बीएसएफ के पूर्व जवान सुखलाल पूर्ति की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. जिसके बाद 13 सितंबर को कोल्हान के वन क्षेत्र में भाकपा माओवादी द्वारा लगाए गए आईईडी ब्लास्ट में ट्रैक्टर के खलासी की मौत हो गई. चालक गंभीर रूप से घायल हो गया था. हालांकि 19 सितंबर को गोईलकेरा थाना औऱ 26 सितंबर को टोंटो थाना क्षेत्र से सुरक्षा बलों ने नक्सलियों द्वारा लगाए गए आईईडी बम बरामद किया था. झारखंड का पुलिस महकमा इस नक्सली समस्या के समाधान के प्रति संवेदनशील है.नक्सलियों के खिलाफ अभियान की वजह से बहुत सारे नक्सलियों ने सरेंडर भी किया है.इसलिए एक बार फिर से चाईबासा के इस नक्सल प्रभावित गढ़ में समेकित अभियान चलाने की जरूरत है ताकि नक्सलियों का यहां से सफाया हो सके.(DESK)