इंफाल : जो लक्षण दिख रहा था वह अब साफ हो गया है.मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लग गय गया है.यहां पर भाजपा की सरकार थी.9 फरवरी को एन बीरेन सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.सरकार बचाने के लिए यह सब किया गया.पिछले 2 साल से मणिपुर में हिंसा के कारण सरकार की आलोचना हो रही थी.मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने बाध्य होकर इस्तीफा दे दिए था.
मणिपुर में मई 2023 से हिंसा जारी है.कुकी और मैतेई जनजाति समाज के बीच आपसी रंजिश के कारण मणिपुर में हिंसा होती रही जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए. इधर 10 फरवरी से मणिपुर विधानसभा का सत्र बुलाया गया था. कांग्रेस ने सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाने की घोषणा की थी.भाजपा आला कमान को लगा कि राज्य के भाजपा विधायकों में मुख्यमंत्री के प्रति नाराजगी है.कहीं ये विधायक कांग्रेस के साथ नहीं चले जाएं, इसलिए भाजपा नेतृत्व ने तय किया कि यहां मुख्यमंत्री बदल दिया जाए.
मुख्यमंत्री के इस्तीफा के बाद नई सरकार के गठन का कोई विकल्प नहीं दिखा तो फिर वहां यह बड़ा फैसला लिया गया.एक यह भी कारण था कि विधानसभा के दो सत्र के बीच 6 महीने के अंतराल खत्म हो रहे थे.इसलिए भी राष्ट्रपति शासन ही विकल्प दिख रहा था.संविधान में प्रावधान है कि विधानसभा के दो सत्र के बीच 6 महीने से अधिक का अंतराल नहीं होना चाहिए.मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगने से अब यहां केंद्र का शासन हो गया है.अब देखना होगा कि यहां की हिंसा पर किस प्रकार काबू पाया जा सकता है.