रांची : एक अलग तरह की प्रवृत्ति देखी जा रही है। नाम बदलने की प्रवृत्ति राजनीति से प्रेरित है। ताजा उदाहरण अटल मोहल्ला क्लीनिक का झारखंड में नाम बदलने से जुड़ा है।झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने मदर टेरेसा के नाम पर इस मोहल्ला क्लीनिक का नाम रखने का कैबिनेट में निर्णय लिया है।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में झारखंड का गठन हुआ उन्होंने वादा किया था कि संसद में अगर उन्हें बहुमत मिला तो झारखंड के लोगों की यह पुरानी मांग पूरी होगी और जब 1999 में एक मजबूत एनडीए सरकार केंद्र में बनी तो अटल बिहारी वाजपेई प्रधानमंत्री बने। उन्होंने झारखंड बनाने का वादा पूरा किया। वैसे भी अटल बिहारी वाजपेई सभी के लिए प्रिय थे। सभी लोग उनका सम्मान करते थे।
नाम बदलने की राजनीति कोई नई नहीं है। केंद्र की मोदी सरकार ने भी कुछ अवार्ड या संस्थाओं के नाम बदले हैं। कई जिलों के नाम भी बदले हैं।उनके अपने तर्क हैं। इधर झारखंड में डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय का नाम बदलने का निर्णय लिया गया। यह कहा गया कि डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने झारखंड के लिए क्या किया है। जबकि लोगों को यह पता होना चाहिए की डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कश्मीर के भारत में विलय को लेकर अपने प्राणों की आहुति दी। वे झारखंड के मधुपुर के रहने वाले थे इसलिए यह कहना कि डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी का झारखंड से क्या लेना देना बिल्कुल गलत है।यह भाजपा विरोधी लोगों की मानसिकता को उजागर करता है कि वे कहीं ना कहीं पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं। अन्यथा इस तरह के तर्क नहीं दिए जाते।
अटल बिहारी वाजपेई भारत के प्रधानमंत्री थे। उनके नाम पर अटल मोहल्ला क्लीनिक शुरू किया गया।झारखंड में भी यह चल रहा था लेकिन गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में इसके नाम बदलने का निर्णय लिया गया।कांग्रेस के नेता राजेश ठाकुर ने कहा कि मदर टेरेसा के नाम पर इस स्वास्थ्य इकाई का नाम रखा जाना अच्छा है। पूरी दुनिया में मदर टेरेसा सेवा भाव के लिए जानी जाती हैं जबकि भाजपा ने इसका विरोध किया है।भाजपा नेताओं का कहना है कि यह कुत्सित राजनीतिक सोच का उदाहरण है। अटल बिहारी वाजपेई इस राज्य के निर्माता रहे हैं और उनके नाम से जुड़े संस्थानों को बदलना कहीं ना कहीं झारखंड का अपमान है।
झारखंड बीजेपी के महामंत्री और राज्यसभा सदस्य प्रदीप वर्मा ने कहा कि सत्ता चलाने वाले लोग झारखंड के निर्माता के साथ इस तरह का व्यवहार यह दर्शाता है कि राजनीति का इनका स्तर किस दूषित मानसिकता का शिकार है।
प्रदीप वर्मा ने कहा कि कांग्रेस की मानसिकता रही है कि वह देश की सेवा में योगदान देने वालों को नीचा दिखाए इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह भी है कि हमारे संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को अपमानित करने का कई बार प्रयास किया गया। उन्हें चुनाव में हराने के लिए कांग्रेस ने हर प्रयास किया। आज बाबा साहेब के प्रति प्रेम का नाटक एक राजनीतिक स्टंट से अधिक नहीं है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि अटल मोहल्ला क्लीनिक का नाम बदलना झारखंड का अपमान हैजिस महान विभूति ने इस राज्य की जनता की भावना को अलग राज्य के रूप में बनाकर सम्मान दिया उस व्यक्ति के सम्मान पर चल रहे संस्थान का नाम बदलना किसी और का नहीं बल्कि यहां के लोगों का अपमान है। यह तुष्टीकरण की नीति का भी एक नमूना है। ईसाई मिशनरियों को खुश करने का भी एक प्रयास हुआ है।