रांची : झारखंड मुक्ति मोर्चा को बिहार विधानसभा चुनाव से बाहर रहना पड़ा है।इस साल के आरंभ से ही झारखंड मुक्ति मोर्चा ताव दे रहा था कि वह बिहार विधानसभा चुनाव कम से कम 12 सीटों पर चुनाव लड़ेगा।एक बार तो यह भी कहा जाने लगा कि तैयारी तो पंद्रह सीटों पर हैं।

पर उसके अरमान आंसुओं में बह गए। आज वह एक सीट पर चुनाव नहीं लड़ रहा है। झारखंड मुक्ति मोर्चा को शायद इस बात का अंदेशा नहीं था कि वह इस कदर उपेक्षित होगा। जबकि लालू प्रसाद यादव से हाल ही में पटना में हेमंत सोरेन आशीर्वाद लेकर आए थे।अब उसी पार्टी के तेजस्वी यादव ने झामुमो नेता का फोन तक नहीं उठाया।राजद नेता भोला यादव को भी फोन किया गया तो वे भी झामुमो नेताओं को टरकाते रहे।
झारखंड मुक्ति मोर्चा को 12 अक्टूबर तक कोई संकेत नहीं था। उसने एलान किया कि 15 तक महागठबंधन के प्रमुख नेता तेजस्वी यादव स्पष्ट कर दें नहीं तो झामुमो अपना निर्णय लेने के लिए तैयार है। कुछ फर्क तेजस्वी यादव पर नहीं पड़ा।समय बीतता चला गया।अब झारखंड मुक्ति मोर्चा 18 अक्टूबर को छह सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दिया। लेकिन कोई तैयार नहीं हुआ। समय खत्म हो गया।
नामांकन दाखिल करने की समय सीमा खत्म होने के बाद जेएमएम नेता और सरकार में मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू का वीडियो आया।यह कहा गया कि महागठबंधन के नेताओं की धूर्तता का शिकार हुआ है झारखंड मुक्ति मोर्चा। बिहार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ पा रहा है। झारखंड मुक्ति मोर्चा को शायद आदमी नहीं मिला जो चुनाव लड़ पाए।यह राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं। महागठबंधन के तहत चुनाव लड़ने की बात पर चुनाव लड़ा जा सकता था लेकिन अकेले चुनाव लड़ने का कोई मकसद नहीं था।यही कारण था कि एलान के बाद भी झामुमो नामांकन किसी भी सीट से नहीं कर पाया।














