रांची : प्रतिष्ठित सरला बिरला विश्वविद्यालय में भारतीय संस्कृति के प्रति विशेष भाव देखा जाता है। यहां के विद्यार्थियों का समग्र विकास होता है। सनातन के प्रति यहां एक अलग ही समर्पण देखा जाता है। भारतीय संस्कृति इस विश्वविद्यालय परिसर के वातावरण में व्याप्त है।
गीता के श्लोक में वर्णित सेवा, करुणा, दया और अहिंसा सात्विक कर्म को परिभाषित करता है और आज के विद्यार्थियों को इससे प्रेरणा लेनी चाहिए। यह बातें आज सरला बिरला विश्वविद्यालय में आयोजित जन्माष्टमी महोत्सव में मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद डॉ प्रदीप कुमार वर्मा ने कही। भगवान श्री कृष्ण के जीवन चरित्र का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि धर्म की स्थापना के लिए बहुधा हिंसा का सहारा लेना भी आवश्यक हो जाता है। कार्यक्रम का आयोजन विवि के भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र ने आईआईसी के सहयोग से किया।

इस अवसर पर भक्ति वेदांता विद्या भवन गुरुकुल, मुरी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर गुरु असीम कृष्ण दास ने हमारे दैनंदिन जीवन में श्रीमद्भागवत गीता की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। गुरु गदाधर दास ने भगवान श्रीकृष्ण के उपदेशों को उद्धृत करते हुए उनसे जुड़े विभिन्न प्रसंगों की विस्तार से व्याख्या की।
एसबीयू के महानिदेशक प्रो गोपाल पाठक ने श्रीकृष्ण के जीवन चरित्र पर चर्चा करते हुए उनसे व्यापक स्तर पर सीख लेने की सलाह दी। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सी जगनाथन ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में प्रत्येक उत्सव के पीछे कोई न कोई निहितार्थ होता है। उन्होंने नक्षत्र के अनुसार भारतीय ज्ञान परंपरा में गणना के महत्व की भी बात कही। डीन डॉ. नीलिमा पाठक ने वीडियो संदेश के माध्यम से भारतीय ज्ञान परंपरा में भगवान श्रीकृष्ण के अद्वितीय स्थान की व्याख्या करते हुए कहा कि हमें कर्म करते जाना है, चूंकि इसके परिणाम पर हमारा नियंत्रण नहीं हो सकता।

महोत्सव के अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण के जीवन पर आधारित नृत्य ‘कृष्णायन’ का मंचन किया गया। साथ ही कृष्ण भजन और संकीर्तन की भी प्रस्तुति की गई। धन्यवाद भाषण डॉ. आर. एम. झा ने दिया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षकगण, शिक्षकेत्तर कर्मचारी एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
एसबीयू में जन्माष्टमी महोत्सव के आयोजन पर विश्वविद्यालय के प्रतिकुलाधिपति बिजय कुमार दलान ने अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की है।














