इंफाल: मणिपुर में 3 मई को जातीय हिंसा के कारण बहुत से लोग विस्थापित हो गए हैं. एक तरह से वहां नफरत की आग फैल गई जिसमें दर्जनों लोग अपनी जान स्वाहा कर बैठे.अलग-अलग स्थानों पर लोगों ने शरण ली.जान बचाने के लिए कुछ लोग पड़ोसी देश में म्यांमार चले गए थे. सेना की मदद से बहुत सारे लोग वापस भारत लौट रहे हैं.
मणिपुर में मुख्यतः कुकी और मैतेई समुदाय के बीच नफ़रत भरी हिंसा शुरू हो गई. हिंसा में काफी लोग विस्थापित हुए.160 से अधिक लोगों की मौत हो गई.सेना,असम राइफल्स के जवानों को भी तैनात किया गया. अब धीरे-धीरे शांति का माहौल बन रहा है. इसमें सुरक्षाबलों की बड़ी भूमिका देखी जा रही है.
बहुत सारे लोग पड़ोसी देश म्यांमार चले गए थे. सीमावर्ती इलाके में उन्होंने शरण ले ली थी. भारत से सटे म्यांमार के मोरेह शहर में सैकड़ो भारतीय शरण लिए हुए थे. अभी भी बहुत सारे लोग वहां शरण लिए हुए हैं.
सुरक्षा व्यवस्था से आश्वस्त होकर मैतेई समुदाय के 200 से अधिक लोग म्यामार से मणिपुर लौट आए हैं.सेना की पहल से यह संभव हो पाया है.मणिपुर के मुख्यमंत्री और एन बीरेन सिंह ने इस काम के लिए भारतीय सेना को धन्यवाद दिया है. मुख्यमंत्री ने ट्विटर पर इस संदेश का उल्लेख करते हुए भारतीय सेवा के समर्पण भाव की तारीफ की है. उन्होंने यह भी लिखा है कि म्यांमार से भारत लौटे सभी 212 मैतेई समुदाय के हैं.
पिछले मई महीने की 3 तारीख से मणिपुर हिंसा की आग में झुलस रहा था. कुकी और मैतेई समुदाय के बीच खूनी टकराव हुआ. हिंसा के कारण मणिपुर में 160 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. इसी दौरान एक युवती के साथ बर्बरता की तस्वीर भी वायरल हुई थी.पूरे देश में उबाल जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई. केंद्र की मोदी सरकार पर विपक्ष का चौतरफा हमला होना शुरू हो गया. संसद की कार्यवाही भी हंगामे की भेंट चढ़ती दिखी. धीरे-धीरे मणिपुर में शांति बहाली हो रही है.फिर भी कई क्षेत्र में तनाव व्याप्त है. सेना और असम राइफल्स के जवान वहां सुरक्षा व्यवस्था संभाले हुए हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही अन्य विस्थापित अपने स्थान पर लौट आएंगे. अभी भी सैकड़ों लोग सुरक्षा बलों द्वारा संरक्षित कैंप में रह रहे हैं.
*मणिपुर से जान बचाकर म्यांमार भागे भारतीय सुरक्षित लौटे,मुख्यमंत्री ने सेना के प्रति आभार जताया*
इंफाल: मणिपुर में 3 मई को जातीय हिंसा के कारण बहुत से लोग विस्थापित हो गए हैं. एक तरह से वहां नफरत की आग फैल गई जिसमें दर्जनों लोग अपनी जान स्वाहा कर बैठे.अलग-अलग स्थानों पर लोगों ने शरण ली.जान बचाने के लिए कुछ लोग पड़ोसी देश में म्यांमार चले गए थे. सेना की मदद से बहुत सारे लोग वापस भारत लौट रहे हैं.
मणिपुर में मुख्यतः कुकी और मैतेई समुदाय के बीच नफ़रत भरी हिंसा शुरू हो गई. हिंसा में काफी लोग विस्थापित हुए.160 से अधिक लोगों की मौत हो गई.सेना,असम राइफल्स के जवानों को भी तैनात किया गया. अब धीरे-धीरे शांति का माहौल बन रहा है. इसमें सुरक्षाबलों की बड़ी भूमिका देखी जा रही है.
बहुत सारे लोग पड़ोसी देश म्यांमार चले गए थे. सीमावर्ती इलाके में उन्होंने शरण ले ली थी. भारत से सटे म्यांमार के मोरेह शहर में सैकड़ो भारतीय शरण लिए हुए थे. अभी भी बहुत सारे लोग वहां शरण लिए हुए हैं.
सुरक्षा व्यवस्था से आश्वस्त होकर मैतेई समुदाय के 200 से अधिक लोग म्यामार से मणिपुर लौट आए हैं.सेना की पहल से यह संभव हो पाया है.मणिपुर के मुख्यमंत्री और एन बीरेन सिंह ने इस काम के लिए भारतीय सेना को धन्यवाद दिया है. मुख्यमंत्री ने ट्विटर पर इस संदेश का उल्लेख करते हुए भारतीय सेवा के समर्पण भाव की तारीफ की है. उन्होंने यह भी लिखा है कि म्यांमार से भारत लौटे सभी 212 मैतेई समुदाय के हैं.
पिछले मई महीने की 3 तारीख से मणिपुर हिंसा की आग में झुलस रहा था. कुकी और मैतेई समुदाय के बीच खूनी टकराव हुआ. हिंसा के कारण मणिपुर में 160 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. इसी दौरान एक युवती के साथ बर्बरता की तस्वीर भी वायरल हुई थी.पूरे देश में उबाल जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई. केंद्र की मोदी सरकार पर विपक्ष का चौतरफा हमला होना शुरू हो गया. संसद की कार्यवाही भी हंगामे की भेंट चढ़ती दिखी. धीरे-धीरे मणिपुर में शांति बहाली हो रही है.फिर भी कई क्षेत्र में तनाव व्याप्त है. सेना और असम राइफल्स के जवान वहां सुरक्षा व्यवस्था संभाले हुए हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही अन्य विस्थापित अपने स्थान पर लौट आएंगे. अभी भी सैकड़ों लोग सुरक्षा बलों द्वारा संरक्षित कैंप में रह रहे हैं.