रांची : झारखंड मुक्ति मोर्चा के नए केंद्रीय अध्यक्ष हेमंत सोरेन बन गए हैं.यह लगभग तय माना जा रहा था कि गुरु जी यानी शिबू सोरेन के स्थान पर हेमंत सोरेन को यह दायित्व दिया जाएगा.हेमंत सोरेन पहले से कार्यकारी अध्यक्ष थे.स्वास्थ्य कारणों से गुरुजी बहुत कुछ निर्णय लेने में असमर्थ थे.इसलिए पार्टी के प्रमुख नीति नियंताओं ने यह तय किया कि हेमंत सोरेन को ही संगठन का प्रमुख बनाया जाए.

हेमंत सोरेन ने बहुत ही तरीके से संगठन को चलाया भी है और सरकार भी चला रहे हैं.पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष का दायित्व मिलने के बाद हेमंत सोरेन अब सत्ता और संगठन के बीच समन्वय बनाने में का प्रयास करेंगे.झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख के रूप में शिबू सोरेन ने 38 साल दिए.मोटिवेशन में पार्टी के प्रमुख और अनुभवी नेता भी शामिल हुए.सभी ने एक ओर से हेमंत सोरेन के नेतृत्व को स्वीकार कर लिया.राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि है मैनेजर ने बहुत ही तरीके से राजनीतिक प्रशिक्षण लेते हुए आज यह मुकाम हासिल किया है.
मालूम हो कि हेमंत सोरेन सबसे पहले उप मुख्यमंत्री बने. फिर 14 महीने मुख्यमंत्री रहे.फिर 5 साल नेता प्रतिपक्ष रहे.उसके बाद 2019 से मुख्यमंत्री का पद संभाल रहे हैं.2024 में जी तरीके से उन्होंने विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की यह उनकी राजनीतिक परिपक्वता और दूर से दर्शित दूरदर्शिता का उदाहरण है.आज हेमंत सोरेन के पास सब कुछ है.सरकार भी है और संगठन भी.इसका सकारात्मक प्रभाव यह पड़ सकता है कि वह संगठन का बेहतर इस्तेमाल सरकार की योजनाओं के जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन में कर सकते हैं.यह हेमंत सोरेन की काबिलियत पर निर्भर करता है. उनके पास कल्पना सोरेन जैसी समझदार और विवेकशील धर्मपत्नी भी है. कल्पना सोरेन ने विधानसभा चुनाव में जबरदस्त प्रचार प्रसार किया.गौर करने वाली बात है कि हेमंत सोरेन को सबसे पहले बधाई देने वाले उनके छोटे भाई बसंत सोरेन थे.इसलिए घर परिवार में भी उनके नेतृत्व पर कहीं कोई सवाल खड़ा नहीं हो सकता है.यह अलग बात है कि सीता सोरेन अपने परिवार के साथ अलग हैं लेकिन अब इसकी कमी की चर्चा नहीं होती है. सभी लोग हेमंत सोरेन को शुभकामना दे रहे हैं और उनसे अपेक्षा कर रहे हैं कि एक विवेक पूर्ण तरीके से सरकार और संगठन चलाएंगे.












