रांची, झारखंड:
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के 13वें केंद्रीय महाधिवेशन के दूसरे दिन मंगलवार को पार्टी में एक बड़ा नेतृत्व परिवर्तन देखने को मिला। झारखंड के मुख्यमंत्री और झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन को पार्टी का नया केंद्रीय अध्यक्ष घोषित किया गया है, जबकि पार्टी के संस्थापक नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिशोम गुरु शिबू सोरेन को झामुमो का संस्थापक संरक्षक बनाया गया है।
महाधिवेशन का आयोजन रांची के खेलगांव स्थित परिसर में किया गया, जहां पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में यह ऐतिहासिक निर्णय लिया गया।
38 साल बाद बदलाव, हेमंत को मिली कमान
शिबू सोरेन ने 1984 से 2022 तक झामुमो के केंद्रीय अध्यक्ष के रूप में काम किया था, यानी लगभग 38 वर्षों तक पार्टी का नेतृत्व किया। अब उन्होंने यह पद अपने पुत्र हेमंत सोरेन को सौंप दिया है, जिन्होंने 2015 में जमशेदपुर महाधिवेशन में कार्यकारी अध्यक्ष का पद संभाला था। बीते दस वर्षों में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में पार्टी ने दो विधानसभा चुनावों में सफलता हासिल की है।
झामुमो ने केंद्र सरकार की नीतियों पर उठाए सवाल
महाधिवेशन के पहले दिन झामुमो द्वारा 16 सूत्री राजनीतिक प्रस्ताव पारित किए गए। वरिष्ठ विधायक स्टीफन मरांडी द्वारा पेश इन प्रस्तावों में परिसीमन, रोजगार, जमीन वापसी, अल्पसंख्यक, एसटी और एससी अधिकारों में कटौती जैसे विषय शामिल थे। पार्टी ने परिसीमन को संविधान के अनुच्छेद 80 और 81 के खिलाफ बताया और स्थानीय पहचान के आधार पर तृतीय व चतुर्थ वर्ग की नियुक्तियों में 100% आरक्षण की मांग रखी।
आदिवासी और मूलवासी हितों पर जोर
झामुमो ने महाधिवेशन में कई सामाजिक और क्षेत्रीय मुद्दों को उठाया। पार्टी ने राज्य में आदिवासियों और मूलवासियों को स्थायी पट्टा, भू-वापसी आयोग, और सीएनटी-एसपीटी एक्ट में किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ पर रोक लगाने के लिए ठोस कानून की मांग की है। इसके अलावा जंगल में रहने वाले समुदायों को वनोपज और जमीन पर स्थायी स्वामित्व देने की भी मांग की गई।
👥 ऐतिहासिक दृष्टि
झामुमो की स्थापना 1972 में विनोद बिहारी महतो द्वारा की गई थी, जो पार्टी के पहले अध्यक्ष थे। 1984 में राजनीतिक बदलावों के चलते निर्मल महतो को अध्यक्ष बनाया गया, और फिर शिबू सोरेन ने पार्टी की कमान संभाली। अब इस विरासत को हेमंत सोरेन आगे बढ़ाएंगे।