हजारीबाग हिंसा के संकेत समझने की जरूरत, प्रशासन की अदूरदर्शिता एक बड़ा कारण, जानिए एक रिपोर्ट*
हजारीबाग/ रांची : महाशिवरात्रि के मौके पर झारखंड के हजारीबाग में जिस प्रकार की घटना घटी पर कई सवाल खड़ा करती है. दो समुदाय के बीच झड़प और उसके बाद आगजनी की घटना ने जिला प्रशासन की अनदेखी और अदूरदर्शिता का परिणाम है. कार ऑटो दो पहिया वाहन समेत कुछ कल आठ वहां भी फूंक दिए गए. जो जानकारी मिल रही है उसके अनुसार प्रशासन को इस तरह के बवाल की कोई गुप्त सूचना नहीं थी. जिसे खुफिया तंत्र की सफलता कहा जाएगा. महाशिवरात्रि जैसे बड़े आयोजन को लेकर विचार प्रखंड के डमरू में जो घटना घटी वह अच्छे संकेत नहीं दे रही है. जिस प्रकार से एक वर्ग विशेष के द्वारा पत्थरबाजी की गई वह यह सोचने पर मजबूर करती है कि एक समुदाय विशेष इस तरह की घटना को अंजाम देने के लिए कथित रूप से तैयारी कर रखा था.
जिस जगह यह घटना घटी वहां पर एक मस्जिद है वहां पर मदरसा का भी संचालन होता है. यहां पर एक मीनार है. पास ही चौक है जो हिंदुस्तान चौक के नाम से जाना जाता है. शिवरात्रि के मौके पर श्रद्धालुओं के द्वारा हिंदुस्तान चौक के पास लोहे के पोल पर लाउडस्पीकर लगाने का प्रयास किया गया. मंगलवार शाम इस पर विवाद हुआ लेकिन दोनों पक्ष के लोग इस विषय पर सहमत हो गए कि महाशिवरात्रि के लिए 2 दिन लाउडस्पीकर लगे रहेंगे.किसी प्रकार का कोई नारा नहीं लगेगा. सिर्फ भक्ति गीत बजेंगे लेकिन अचानक यह सारी समझ धरी की धरी रह गई.शिवरात्रि के दिन लाउडस्पीकर लगाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया और एक समुदाय विशेष के द्वारा छत पर से रोड़ेबाजी शुरू कर दी गई. इस रोड़ेबाजी में दूसरे पक्ष के लोग चोटिल हो गए. फिर मामला और गड़बड़ा गया.हिंसा शुरू हो गई .और दोनों पक्ष आपस में भिड़ गए. छत पर से रोड बड़ी की घटना चिंता करने वाली है क्योंकि ऐसा लगता है कि एक पक्ष के लोग इसकी तैयारी करके रखे थे. पुलिस को इसकी सूचना होनी चाहिए थी लेकिन उसका तंत्र शायद विफल रहा. स्थानीय विजय किशोर प्रसाद ने कहा कि महाशिवरात्रि पर इस तरह की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है.पुलिस को रोड़ेबाजी करने वाले लोगों की शिनाख्त करनी चाहिए.
हजारीबाग जिले से लगभग 25 किलोमीटर दूर इचाक प्रखंड के डुमरौन मैं महाशिवरात्रि को लेकर लाउडस्पीकर लगाने का विरोध एक पक्ष ने शुरू किया आपस में बहसाबहसी के बाद अल्पसं%A