नई दिल्ली- केरल की 36 वर्षीय निमिषा प्रिया संकट में फंसी हुई है.मध्य पूर्वी देश यमन में उसे मौत की सजा सुनाई गई है.कोर्ट ने हत्या के आरोप में उसे मौत की सजा सुनाई है.2017 में स्थानीय यमन नागरिक मेहदी की हत्या का आरोप उनके ऊपर है.
दरअसल 2008 में केरल के पलक्कड़ कि निमिषा प्रिया यमन जाकर नर्सिग की पढ़ाई कर वहां क्लीनिक खोलना चाहती थी और इस काम में उसके भारतीय पति थॉमस ने भी मदद की.लेकिन यमन के कानून के अनुसार वहां पर नर्सिंग होम के लिए स्थानीय व्यक्ति की साझेदारी जरूरी थी.इस कारण उसने एक यमन नागरिक महदी से दोस्ती की और उसके साथ मिलकर नर्सिंग होम खोला. इस दौरान यमन में गृह युद्ध फैल गया और नर्सिंग होम का कारोबार भी गड़बड़ाने लगा.मोदी ने निमिषा प्रिया से पैसे की मांग की.
निमिषा प्रिया का पासपोर्ट भी उसने अपने कब्जे में ले लिया.लेकिन 2017 में उसका क्षत विक्षत शव बरामद हुआ और इस हत्या का आरोप निमिषा प्रिया पर लगा.फिर कोर्ट में यह मुकदमा चला.निमिषा प्रिया को 2018 में गिरफ्तार कर लिया गया.इधर यमन की सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के जजमेंट को बरकरार रखते हुए मौत की सजा की पुष्टि कर दी.
निमिषा प्रिया को बचाने के लिए कई स्तर से प्रयास शुरू हुए निमिषा के माता-पिता पति ने भी अभियान शुरू किया और एक फाउंडेशन सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल फाउंडेशन ने भी पहल शुरू की.लेकिन इसका अभी तक कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला है.यमन के कानून के अनुसार अगर ब्लड मनी यानी दीया के रूप में एक मोटी रकम दी जाती है तो माफी हो सकती है.यह रकम पीड़ित परिवार को दी जाती है.पैसा इकट्ठा करने के लिए हर स्तर पर प्रयास किया जा रहा है.सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल फाउंडेशन ने भी पैसा का जुगाड़ किया है.
इधर भारत सरकार के विश्व देश मंत्रालय ने कहा है कि यमन में निमिषा प्रिया की मौत की सजा से वह अवगत है और उसे बचाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है.यमन के राष्ट्रपति ने 30 दिसंबर 2024 को उसकी दया याचिका खारिज कर दी है.इसके बाद एक महीने का अंदर यानी 31 जनवरी 2025 तक उसे सजा दे दी जाएगी.यमन के कानून के अनुसार मौत की सजा गोली मारकर दी जाती है.विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया है कि हर संभव प्रयास किया जा रहा है.









