रांची : सरला बिरला विश्वविद्यालय की शैक्षणिक व्यवस्था और गुणवत्ता अत्यंत सराहनीय और उल्लेखनीय है।यही कारण है कि यहां शिक्षा ग्रहण करने के लिए युवा प्रेरित होते हैं।
प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. राधाकांत पाधी ने सरला बिरला विश्वविद्यालय में आयोजित बसंत कुमार बिरला स्मृति व्याख्यानमाला में अपना विचार व्यक्त किया
‘आनेवाले वर्षों में भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में और भी बड़ी छलांग लगाने की तैयारी में है और इसके लिए हम सभी दृढ़ संकल्पित हैं ‘ यह बातें आज प्रसिद्ध वैज्ञानिक एवं इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर राधाकांत पाधी ने कही। वे मंगलवार को सरला बिरला विश्वविद्यालय, रांची के सभागार में आयोजित बसंत कुमार बिरला स्मृति व्याख्यान श्रृंखला के तहत आयोजित कार्यक्रम के अवसर पर ‘जटिल अंतरिक्ष मिशनों पर कंप्यूटर आधारित मार्गदर्शन की आवश्यकता और उसका प्रभाव ‘ विषय पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
उपस्थित श्रोताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने भारत के अंतरिक्ष अभियानों; जैसे चंद्रयान-3, आदित्य-एल1, गगनयान, निसार, एक्सपोसैट और स्पेडेक्स के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने भविष्य की योजनाओं, जैसे चंद्रयान -4, चंद्रयान-5, मंगल और शुक्र मिशन के साथ-साथ आर्टेमिस कार्यक्रम और स्पेडेक्स-2 के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत का इस क्षेत्र में कार्य विश्व स्तरीय रहा है और इस प्रगति की राह में कंप्यूटर आधारित मार्गदर्शन तकनीक काफी मददगार और क्रांतिकारी साबित हो रही है।
इस अवसर पर विवि के माननीय महानिदेशक प्रो गोपाल पाठक ने स्व. बसंत कुमार बिरला को याद करते हुए कहा कि प्रसिद्ध उद्योगपति के अलावा उनकी ख्याति समाजसेवी, दानवीर और लब्धप्रतिष्ठ शिक्षाविद के तौर पर भी रही। उन्होंने ‘वनडे एट ए टाइम’ नामक किताब का भी उल्लेख किया, जो बसंत कुमार बिरला के जीवन और विचारों से प्रेरित है। उपस्थित श्रोताओं से उन्होंने उनके विचारों को आत्मसात करने की भी अपील की।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. मीता वर्मा ने किया। इस अवसर पर एसबीयू के कुलपति प्रो सी जगनाथन, कुलसचिव प्रो एस बी डांडिन समेत विश्वविद्यालय के अधिकारी, विभिन्न संकायों के शिक्षकगण एवं छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। विवि के प्रतिकुलाधिपति बिजय कुमार दलान एवं राज्यसभा सांसद डॉ प्रदीप कुमार वर्मा ने इस लेक्चर सीरीज के आयोजन पर हर्ष व्यक्त किया है।
जाने माने वैज्ञानिक हैं डॉ. पाधी
वर्तमान में प्रो. राधाकांत पाधी भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलुरु के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग में पूर्णकालीन प्रोफेसर के तौर पर कार्यरत हैं। साल 1996-1997 के दौरान रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) में वे वैज्ञानिक के तौर पर भी काम कर चुके हैं।
उन्होंने ऑप्टिमल कंट्रोल, नॉनलिनियर कंट्रोल, इंटेलिजेंट कंट्रोल और स्टेट एस्टिमेशन में सिंथेसिस एल्गोरिदम पर विशेष कार्य किया है। अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं और सम्मेलनों में उनके 240 से अधिक शोधपरक लेख प्रकाशित हुए।
प्रो. पाधी भारतीय राष्ट्रीय अभियंत्रण अकादमी (INAE), इलेक्ट्रॉनिक्स और दूरसंचार अभियंत्रण संस्थान (IETE), भारतीय अभियंत्रण संस्थान (IE), अमेरिकी एयरोनॉटिक्स और एस्ट्रोनॉटिक्स संस्थान (AIAA) के एसोसिएट फेलो हैं। इसके अलावा वे इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स अभियंत्रण संस्थान (IEEE), इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ ऑटोमैटिक कंट्रोल (IFAC), भारतीय एयरोनॉटिकल सोसाइटी, सिस्टम्स सोसाइटी ऑफ इंडिया, एशियाई नियंत्रण संघ की स्टीयरिंग समिति एवं सॉफ़्ट कंप्यूटिंग रिसर्च सोसाइटी ऑफ इंडिया के आजीवन सदस्य भी हैं। उन्हें उनके मूल्यवान शोध योगदानों के लिए कई पुरस्कार मिल चुका है, जिनमें एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया से एक्सीलेंस इन एयरोस्पेस एजुकेशन अवॉर्ड भी शामिल है।












