रांची : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास आज कल चौपाल कार्यक्रम में लगे हुए हैं। मुख्यमंत्री रहते हुए भी हुए ग्रामीण क्षेत्रों में चौपाल लगाते थे और ग्रामीणों की समस्याओं को सुनते थे।कई बार ऑन द स्पॉट कार्रवाई भी करते थे। चौपाल कार्यक्रम रघुवर दास की अपनी सोच का कार्यक्रम है। इधर से उन्होंने फिर से यह कार्यक्रम शुरू किया है।जनता से कनेक्ट होने का उनकी नजर में यह अच्छा प्रयास है। संथाल परगना के कई स्थानों पर उन्होंने चौपाल लगाकर आदिवासी समाज के लोगों को वर्तमान हेमंत सोरेन की सरकार की सच्चाई को बताने का काम किया।इस प्रयास से उन्हें लगता है कि आदिवासी समाज जो भारतीय जनता पार्टी से दूर चला गया है वह पार्टी से जुड़ेगा।
*चौपाल कार्यक्रम का अच्छा प्रतिफल मिलने की उम्मीद*
चौपाल कार्यक्रम के माध्यम से रघुवर दास आदिवासी क्षेत्र में लोगों को तुलनात्मक बातें रखते हैं। आदिवासी समाज को वे बताते हैं कि उनके समय में सरकार योजनाओं को किस तरह क्रियान्वित करवाती थी। ओडिशा के राज्यपाल पद से इस्तीफा देने के बाद रघुवर दास राजनीति में एक बार फिर से सक्रिय हुए। आज की तारीख में प्रदेश के प्रमुख नेताओं में सबसे अधिक सक्रियता रघुवर दास की है। झारखंड में अभी संगठनात्मक चुनाव चल रहा है। इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष चुना जाएगा या फिर मनोनीत होगा। पार्टी का एक बड़ा तबका यह चाहता है कि रघुवर दास को अध्यक्ष बनाया जाए। लेकिन तर्क यह भी दिया जाता है कि उनके शासनकाल से आदिवासी समाज निराश हुआ है। इसका खामियाजा पार्टी को चुनाव में भुगतना पड़ा है। शायद इसलिए चौपाल के माध्यम से रघुवर दास आदिवासी समाज में अपनी जगह बनाने का पुरजोर प्रयास कर रहे हैं।
*चौपाल कार्यक्रम 2023 में ही शुरू होना था*
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास 2023 में ही चौपाल कार्यक्रम शुरू करना चाहते थे। 2023 के नवंबर- दिसंबर से यह कार्यक्रम शुरू होने वाला था लेकिन इसी बीच केंद्रीय नेतृत्व ने रघुवर दास को ओडिशा का राज्यपाल नियुक्त कर दिया। लेकिन रघुवर दास का मन लाटसाहबी में नहीं लगा। दिसंबर के अंत में उन्होंने राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया।। उसके बाद फिर से पार्टी में शामिल होकर सक्रिय राजनीति में फिर से पारी की शुरुआत की। केंद्रीय नेतृत्व उनके बारे में क्या सोचता है,यह स्पष्ट नहीं है। लेकिन उनकी सक्रियता बहुत कुछ बोलती है।