अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2025: सशक्त समाज की कल्पना के लिए सशक्त महिला
रांची: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है.महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक उपलब्धियों को सम्मानित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है. यह दिन महिलाओं के संघर्ष और उनके योगदान को मान्यता देने के साथ-साथ समाज में समानता और न्याय की ओर एक कदम बढ़ाने का प्रतीक बन चुका है.
भारत में महिलाओं का योगदान न केवल घरेलू जीवन तक सीमित रहा है, बल्कि उन्होंने समाज, राजनीति और स्वतंत्रता संग्राम में भी अहम भूमिका निभाई है. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में कई महिलाएं ऐसी थीं जिन्होंने अपने साहस और संघर्ष से देश की दिशा बदलने में मदद की.
इस मौके पर हम कुछ ऐसी महिलाओं की बात करेंगे जिन्होंने भारतीय समाज पर अपनी अमिट छाप छोड़ी. सावित्रीबाई फुले, जो भारत की पहली महिला शिक्षिका थीं, ने महिला शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति ला दी. मदर टेरेसा, जिन्होंने भारत में अपनी मानवता सेवा की मिसाल पेश की, को उनके कार्यों के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया. अहिल्याबाई होल्कर, जो एक महान शासक और समाज सुधारक थीं, ने महिलाओं के उत्थान के लिए कई कदम उठाए.
इसके अलावा, विजया लक्ष्मी पंडित और सरोजिनी नायडू जैसी महिलाओं ने राजनीति और समाज के विभिन्न क्षेत्रों में न केवल महिलाओं के लिए अवसर बनाए, बल्कि भारत की स्वतंत्रता संग्राम में भी योगदान दिया.
महिला दिवस के अवसर पर हम इन महान महिलाओं को सलाम करते हैं और उनके योगदान को सम्मानित करते हैं.यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि महिलाएं समाज के हर क्षेत्र में समान अवसर और सम्मान की पात्र हैं.
देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज एक बड़ी मिसाल हैं. आज हम दुनिया को दिखा रहे हैं कि हम नारी समाज को किस ऊंचाई तक देखना चाहते हैं. इससे पहले भी प्रतिभा पाटिल राष्ट्रपति रह चुकी हैं.
आज महिला सशक्तिकरण की बात हम करते हैं. इस दिशा में हमारे सारे कदम आरंभ से चल रहे हैं.हम अब चुनावी राजनीति में भी एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित कर दिए हैं.
प्रायः सभी क्षेत्रों में महिला का प्रतिनिधित्व बढ़ता जा रहा है.