रांची – डुमरी विधानसभा उपचुनाव के लिए प्रक्रिया शुरू हो गई है.नामांकन की तारीख सिमटती जा रही है. 10 अगस्त से ही नामांकन चालू है. 5 सितंबर को वोट डाले जाएंगे. 8 सितंबर को रिजल्ट आएगा. मुख्य रूप से चर्चा दो धड़े की हो रही है.एक सत्ता पक्ष के गठबंधन की, दूसरी एनडीए की. एनडीए यानी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन नेता कर दिया है कि आजसू ही वहां से प्रत्याशी उतरेगा. शुक्रवार की रात इसके औपचारिक घोषणा भी हो गई.
दिल्ली से लौट के बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी रात में संगठन महामंत्री कर्मवीर सिंह के साथ आजसू के सर्वेसर्वा सुदेश महतो के आवास पर पहुंचे. केंद्र की सहमति को बताते हुए मजबूती के साथ उपचुनाव लड़ने का संकल्प दोहराया गया. आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने कहा कि रामगढ़ में जिस प्रकार से एनडीए (NDA) ने पूरी एकजुटता और समर्पण से काम किया.इसके रिजल्ट भी अच्छे आए. वैसा ही ईमानदार प्रयास डुमरी में किया जाएगा.
भाजपा ने क्यों प्यार से दे दी यह सीट
डुमरी सीट को भाजपा ने बहुत प्यार से आजसू को दे दिया.इसके कई कारण बताए जा रहे हैं. एक तो यह कि इस क्षेत्र में उसका कोई ऐसा है चेहरा नहीं है जो सोशल इंजीनियरिंग के हिसाब से मजबूत कद रखता हो. तुलनात्मक रूप से आजसू का पलड़ा भारी दिख रहा है. 2019 के विधानसभा चुनाव में आजसू ने भाजपा से बेहतर प्रदर्शन किया था.आजसू की यशोदा देवी दूसरे स्थान पर रही थी. जेएमएम के जगरनाथ महतो ने यह सीट जीती थी. जगन्नाथ महतो 2005 से लगातार जीत दर्ज करते रहे. 2019 में जगन्नाथ महतो ने 71128 वोट मिले थे. आजसू यशोदा देवी को 36840 वोट मिले थे. वहीं भाजपा के प्रदीप साहू को 36013 वोट मिले. यहां पर यह बताना जरूरी है कि 2019 के विधानसभा चुनाव में एनडीए का कुनबा झारखंड में बिखर गया था. आजसू अलग रास्ते चुनाव लड़ रहा था भाजपा की राह भी अलग थी.
1977 से एक ही जाति के लोग जीतते रहे
डुमरी विधानसभा अलग सीट का सृजन 1972 में हुआ. 1977 के बाद से इस सीट पर एक ही जाति के लोगों ने जीत दर्ज की है. इसलिए सारे दल प्रत्याशी चयन में यहां की जातीय व्यवस्था को देखकर ही निर्णय लेते हैं. एनडीए ने भी वही किया है. भाजपा ने बहुत सोच समझकर आजसू को यह सीट दी है. एक तो गठबंधन का सम्मान करना राष्ट्रव्यापी राजनीतिक माहौल की जरूरत है. झारखंड में गठबंधन सरकार की ओर से झारखंड मुक्ति मोर्चा की प्रत्याशी राज्य सरकार में मंत्री बेबी देवी होंगी. बेबी देवी दिवंगत जगन्नाथ महतो की धर्मपत्नी हैं. उन्हें मंत्री बनाकर हेमंत सरकार ने पहले ही सब कुछ तय कर दिया कि यहां से झामुमो का प्रत्याशी कौन होगा. भाजपा इस बात को समझ रही है कि मुकाबले यहां आसान नहीं है.आजसू को यह सीट देना बुद्धिमानी समझते हुए इसे स्वीकार कर लिया.
हेमंत सरकार के कामकाज को एनडीए बनाएगा मुद्दा
इस उपचुनाव में एनडीए की ओर से है राज्य सरकार के कामकाज को मुद्दा बनाया जाएगा. भाजपा का कहना है कि राज्य की जनता हेमंत सरकार से काफी खफा है आदिवासी मूलवासी का जितना नुकसान इस सरकार में हुआ है, इतना पहले कभी नहीं हुआ राज्य सरकार तुष्टिकरण की नीति अपनाते हुए आदिवासी समाज की की महिलाओं के साथ हो रहे गठित अत्याचार की अनदेखी कर रही है. आदिवासी समाज समेत अन्य वर्गों के साथ भी इस सरकार ने गलत किया है. राज्य के युवाओं को तो इस सरकार ने खूब ठगा है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सरकार को राज्य की जनता एक पल भी देखना नहीं चाहती. वोट के माध्यम से सरकार को चोट पहुंचाएगी.
आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने कहां की झारखंड की हेमंत सरकार ने इस राज्य को पीछे धकेल दिया है. बेरोजगार युवा हताश और निराश हैं.विधि व्यवस्था चौपट है.डुमरी उपचुनाव में जनता अपने गुस्से का इजहार करेगी. कमोवेश परिस्थिति के अनुकूल भाजपा ने निर्णय लिया है. जगरनाथ महतो के निधन की वजह से खाली इस सीट पर चुनाव हो रहा है.इसलिए भाजपा को चुनौती कठिन तो नजर आ ही रही है, लेकिन उसे यह विश्वास हो रहा है कि आजसू के माध्यम से सरकार के कामकाज को मुद्दा बनाते हुए जनता का विश्वास जीता जा सकता है. रामगढ़ जैसा दृश्य एक बार फिर से देखने को मिल सकता है.अगर आजसू को यह सीट मिल जाती है तो 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी इसका लाभ मिलेगा.