*बजट पर सबकी नजर, मध्यम वर्ग को राहत की उम्मीद,जानिए क्या हो सकता है*
नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का यह पहला पूर्ण बजट आज सदन में पेश होगा. इस बजट में क्या-क्या प्रावधान होते हैं, इस पर सभी की नजर होगी. खास तौर पर निम्न मध्यम वर्ग श्रेणी के लोगों को बजट से उम्मीद बंधी है.वेतन भोगी वर्ग के लोग चाहते हैं कि केंद्र की मोदी सरकार से इस बार टैक्स स्लैब में राहत मिले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट सत्र के शुरू होने से पहले मीडिया को संबोधित करते हुए कल कहा था कि यूपी में मध्यम वर्ग और खासतौर पर महिलाओं का विशेष ध्यान रखा जाएगा.
मोदी ने संकेत दिया है कि इस बजट सत्र में महिलाओं को राहत और उनके मान सम्मान के संवर्धन से संबंधित काम होंगे.इधर आम लोगों का कहना है कि केंद्र की मोदी सरकार को निम्न मध्यम वर्ग पर ध्यान देना चाहिए. उनके लिए टैक्स में राहत मिले. ऐसे प्रबंध किए जाने चाहिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना आठवां बजट पेश करेंगी .मोदी ने कल कहा था कि गरीबों और मध्यम वर्ग पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा रहनी चाहिए.
इससे यह समझा जा रहा है कि इस बजट में इस वर्ग के लिए मध्यम वर्ग के लिए कुछ अच्छा होगा. वैसे देखा जाए तो जो संकेत मिल रहे हैं या जो अपेक्षा है उसके हिसाब से स्टैंडर्ड डिडक्शन में बढ़ोतरी होनी चाहिए. इसे एक लाख किया जाना चाहिए. रोजगार पैदा करने के लिए कर्ज की शर्तों और ब्याज दरों में कमी होनी चाहिए.टैक्स प्रणाली में 500000 तक की आय को कर मुक्त रखा जाना चाहिए.रियल एस्टेट को बढ़ावा देने के लिए पीएम आवास योजना में सब्सिडी को बढ़ाया जाना चाहिए
हमने देखा कि बजट सत्र के पहले दिन आर्थिक सर्वेक्षण में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो रिपोर्ट पेश की उसके अनुसार अगले वित्तीय वर्ष यानी 2025- 26 में रियल जीडीपी ग्रोथ 6.3 से 6.8 रहने का अनुमान है जबकि 2024-25 में 6.4% रह सकती जो 4 साल में सबसे कम है.साल 2030 तक गैर कृषि क्षेत्र में सालाना औसत 78.5 लाख रोजगार पैदा होंगे. सर्विस सेक्टर के साथ अनिश्चित में भी रोजगार बढ़ाने की उम्मीद लगाई गई है महंगाई पर भी नियंत्रण की संभावना जताई गई है.
अब देखना होगा केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पिटारे से देश के लोगों के लिए क्या-क्या निकलता है. लक्ष्मी की कृपा किन वर्गों पर होती है. देश में महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दे पहले से विद्यमान हैं.रोजगार सृजन के लिए केंद्र की मोदी सरकार को अधिक संवेदनशील होना होगा.