रांची – लोकसभा में मंगलवार को महिला आरक्षण बिल, 2023 पेश किया गया.इस बिल का उद्देश्य है लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं में कुल सीटों में से एक तिहाई को महिलाओं के लिए आरक्षित करना है, दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने संसद के नए भवन में पहला विधेयक महिला आरक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए एक विधेयक पेश किया है.इस बिल को लेकर विपक्ष इसकी सराहना तो कर रहा है, लेकिन कई ‘शर्तों’ के साथ, दरअसल, विपक्ष नारी शक्ति वंदन विधेयक पर दो-तीन शर्तों को लेकर मोदी सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहा है. बता दें कि दिल्ली के सत्ताधारी दल आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार महिलाओं को आरक्षण नहीं उन्हें धोखा देने के लिए यह बिल लाई है.वहीं,कांग्रेस पार्टी ने लगे हाथ कह दिया कि ये तो उनके ही प्रयासों का नतीजा है.बता दें कि पार्टी नेता जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस पार्टी लंबे समय से महिला आरक्षण को लागू करने की मांग करती रही है.
*संसद में कुल महिला सांसद*
संसद में महिलाओं की भागीदारी ठीक ठाक है,मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस वक्त संसद में कुल 14.52% महिला सांसद है.
इस समय देश की संसद के दोनों सदनों, यानी लोकसभा और राज्यसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 15.2 फ़ीसदी और लगभग 13 फ़ीसदी है. लोकसभा में इस समय कुल 539 सदस्य हैं, जिनमें से 82 महिला सांसद हैं, और राज्यसभा में कुल सदस्य संख्या 239 हैं, जिनमें से 31 महिला सांसद हैं.इनमें से कुछ नामित हैं यानी कुल मिलाकर 778 सांसदों में से 113 महिलाएं हैं, जो 14.52 फ़ीसदी होता है.
*BJP से सबसे ज्यादा महिला सांसद*
लोकसभा में महिलाओं को सबसे ज़्यादा प्रतिनिधित्व स्वाभाविक रूप से सत्तारूढ़ दल की बदौलत ही मिल रहा है, क्योंकि देख जाए तो वर्तमान लोकसभा में सबसे ज़्यादा 42 महिला सांसद BJP की ही हैं,मतलब ये कहा जा सकता है कि लोकसभा की कुल महिला सांसदों में आधा से ज़्यादा BJP से हैं. इसके अलावा, तृणमूल कांग्रेस की 9 महिला सांसद हैं. देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की 7 महिला सांसद लोकसभा में मौजूद हैं. इन बड़ी पार्टियों के अलावा, बीजू जनता दल की 5 और वाईएसआरसीपी की 4 महिला सांसद संसद के निचले सदन में मौजूद हैं. दो महिला सांसद द्रविड़ मुनेत्र कषगम है,दो निर्दलीय महिला सांसद भी हैं. शेष सभी महिला सांसद अपनी-अपनी पार्टी से अकेली महिला प्रतिनिधि हैं.
बीजेपी – 42
तृणमूल कांग्रेस – 9
कांग्रेस – 7
बीजेडी – 5
वाईएसआरसीपी – 4
डीएमके – 2
निर्दलीय – 2
शिवसेना (उद्धव)-1
शिवसेना (सिंदे )-1
एस -1
बीएसपी -1
जदयू -1
एलजेएसपी -1
एनसीपी-1
एनपीपी -1
अकाली दल -1
सपा -1
बीआरएस -1
*पहली बार 1996 में पेश हुआ था महिला आरक्षण बिल*
इस पहल की शुरुआत 27 साल पहले तब हुई थी, जब एचडी देवगौड़ा के नेतृत्व वाली संयुक्त मोर्चा सरकार ने सबसे पहले इसे 12 सितंबर 1996 को लोकसभा में पेश किया था, इसके बाद प्रत्येक सरकार ने या तो इसके लिए प्रयास किया या फिर इसके पक्ष में खूब बातें कीं लेकिन इस दिशा में पहल नहीं की.
*महिला आरक्षण बिल के क्या फायदे*
महिला आरक्षण बिल को 15 साल के लिए लागू किया जाना है, इस बिल का लक्ष्य महिलाओं के लिए लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं में 33 फीसदी सीटें आरक्षित करना है.बताया जा रहा है कि में बिल में 33 प्रतिशत कोटे में भी SCST, एंग्लो-इंडियन के लिए उप-आरक्षण के लिए भी सुझाव हैं, गौरतलब है कि हर बार आम चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किए जाने का प्रावधान भी बिल में रहेगा, लेकिन इस बिल में अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं है, इसलिए इस बिल का विरोध किया जाता रहा है.
*इस बिल की आवश्यकता क्यों है?*
महिला आरक्षण बिल पास होने से देश में पंचायत चुनाव से लेकर विधानसभाओं, विधान परिषदों और संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व में बढ़ोतरी होगी. सरकारी नौकरी निजी क्षेत्र में और साथ ही देश की सियासत में भी महिलाओं की भागेदारी बढ़ेगी. अगर वर्तमान की बात करें तो लोकसभा में 78 महिला हैं , जो कुल संख्या 543 का 15% से भी कम हैं.राज्यसभा में 32 महिला संसद हैं, जो कुल 238 संसदों का 11% हैं. बात अगर बिहार, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली की करे तो 10-12 प्रतिशत महिला विधायक थीं.
*झारखंड में जेएमएम और कांग्रेस के पास सबसे अधिक महिला MLA*
महिला विधायकों के मामले में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा-कांग्रेस गठबंधन आगे है, बता दे कि जेएमएम से चार और कांग्रेस से चार महिला विधायक हैं.2019 में हुए विधानसभा चुनाव में कुल 127 महिला प्रत्याशियों ने किस्मत आजमाया था तब 10 महिलाएं निर्वाचित होकर विधानसभा पहुंचीं थीं. उपचुनावों के बाद इसमें बढ़ोतरी हुई,अब विधायकों की संख्या 12 है.
*महिला विधायकों ने कहा अच्छी स्वागत*
महिलाओं का आरक्षण निर्धारित करने के फैसले से झारखंड की महिला
विधायकों के बीच खुशी की लहर है.भाजपा की महिला विधायकों ने इसका स्वागत किया है और इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद दिया है है और कहा की यह पहल अच्छी है,वहीं कांग्रेस कोटे से महगामा विधायक दीपिका पांडे सिंह ने कहा की इसका पूरा श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी को जाता है,सबसे पहले उन्होंने इस बारे में सोचा था और इस पंचायतों में लागू कराया था
*झारखंड की राजनीति पर कितना असर पड़ेगा?*
झारखंड में लोकसभा की कुल 13 सीटें हैं. महिला आरक्षण बिल पास होने के बाद प्रदेश में लोकसभी की 4 सीट महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी. वही झारखंड में विधानसभा की कुल सीटें 81 है, वहां भी महिलाओं के लिए 27 सीटें रिजर्व हो जाएंगी. सरकार की ओर से कहा गया कि बिल का उद्देश्य राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर नीति-निर्माण में महिलाओं की अधिक भूमिका हो.