*सरकार बनाम संत :मस्जिद, गुरुद्वारे और गिरजाघर में कमेटी क्यों नहीं ? सिर्फ मंदिरों के साथ ही छेड़छाड़ क्यों?*
रांची :राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड की ओर से राजधानी रांची के ऐतिहासिक पहाड़ी मंदिर और संकट मोचन मंदिर में पुरानी कमिटी भंग कर नई कमेटी बनाए जाने को लेकर मंदिर के समर्थक और बीजेपी लगातार विरोध करती हुई नजर आ रही है.बता दें कि इससे पहले मंदिर के समर्थकों की ओर से मशाल जुलूस के साथ इसका विरोध प्रदर्शन भी रांची में देखने को मिला था और धार्मिक न्यास बोर्ड पर सवाल भी खड़े किए गए कि आखिरकार मंदिर में ही कमेटी क्यों बनाई जा रही है? मस्जिद, गुरुद्वारा और गिरजाघर में भी कमेटी बनानी चाहिए.
नई मंदिर कमेटियों में प्रशासनिक अधिकारियों की दखल को कम किया जाएगा. जिन कमेटियों में डीसी या एसडीओ शामिल हैं, उन्हें भी मुक्त किया जाएगा. ऐसा करने के पीछे न्यास बोर्ड का तर्क है कि प्रशासनिक अधिकारी काम के चलते मंदिर प्रबंधन में समय नहीं दे पाते.
-राज्य गठन के बाद तीसरी बार धार्मिक न्यास बोर्ड का गठन-
झारखंड राज्य को अलग राज्य बने 23 साल हो रहे हैं, लेकिन राज्य में धार्मिक न्यास बोर्ड का गठन सिर्फ 3 बार हुआ है. पदभार ग्रहण के बाद झारखंड राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के नवनियुक्त अध्यक्ष जयशंकर पाठक ने कहा कि राज्य में धार्मिक स्थलों की कमियां दूर की जाएंगी.अब भक्तों की जितनी भी परेशानी है. उसको दूर करने की भी कोशिश की जाएगी ताकि उन्हें कोई भी परेशानियों का सामना न करना पड़े.
-मस्जिद, गुरुद्वारे और गिरजाघर में भी बने कमेटी-
बीजेपी सांसद संजय सेठ भी नई कमिटी को लेकर लगातार विरोध कर रहे है. उनका कहना है कि मंदिर में कमेटी क्यों बनाया जाएगा? पुजारी प्रक्रिया में कमेटी कैसी ? कांग्रेस मंदिर में राजनीति ना करे. भक्तों की भावनाओं से ना खेल सभी मंदिरों के पुजारी तमाम कार्य कर रहे हैं तो इस कमेटी का क्या है औचित्य ?नई कमेटी कोई भी मंदिर के पुजारी नहीं चाहते हैं.
-क्या कह रहे है पहाड़ी मंदिर के पुजारी-
पहाड़ी मंदिर के पुजारियों का कहना है कि बिना सूचना दिए ही धार्मिक न्यास बोर्ड का गठन कर दिया गया है. जब तक सरकार इस फरमान को वापस नहीं लेगी ,आंदोलन इसी तरीके से चलाया जाएगा. धार्मिक न्यास बोर्ड मंदिर में राजनीति करना बंद करे अन्यथा उग्र आंदोलन होगा.साथ ही मंदिर के पुजारियों का कहना है कि अगर धार्मिक न्यास बोर्ड मस्जिद, गुरुद्वारे और गिरजाघर में कमेटी बनती है तो हम मंदिर में भी कमेटी बनाने के अनुमति देंगे.क्यों बस मंदिरों के साथ ही छेड़छाड़ की जाती है.
-क्या कह रहे संकट मोचन के पुजारी-
रांची के संकट मोचन के पुजारी इस नई कमिटी को लेकर काफी अक्रोशित है. उनका कहना है कि पूर्व में इसको लेकर कोई भी सूचना हमें नहीं दी गई थी और मंदिर की पुरानी समिति की ओर से अच्छे से कार्य किए जा रहे थे, आखिर हमारे से क्या गलती हो गई जो नई समिति का गठन किया गया. इस नई समिति का हम लोग विरोध करते हैं. यह एक मंदिर है और भक्तों की भावनाओं से हम किसी को खेलने नहीं देंगे.श्री श्री मंहत महा मंडलेश्वर ने कहा कि मंदिर में धार्मिक न्यास बोर्ड का कार्यालय खोलने के लिए जगह नहीं दी जाएगी.
-मंदिर में राजनीति नहीं होना चाहिए – सीपी सिंह-
मंदिरों के समर्थक और भारतीय जनता पार्टी इस बोर्ड को लेकर लगातार विरोध करते हुए नजर आ रही है.बीजेपी विधायक सीपी सिंह ने कहा कि बोर्ड धर्म प्रेमियों के लिए होता है. यह सनातन धर्म पर विश्वास करने वालों के लिए है. जो धर्म प्रेमी होते हैं, जो देवी- देवताओं की पूजा अर्चना करते हैं और उसमें सहयोग करते हैं, वैसे लोगों को ही धार्मिक न्यास में जगह देना चाहिए. उसका सदस्य बनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह मंदिर लगभग 50 सालों से निर्मोही अखाड़ा के साधु- संत समाज की ओर से चलाया जा रहा है. धर्म से जुड़े हुए लोगों को ही यहां बैठना चाहिए.वहीं राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन में हमला बोलते हुए सीपी सिंह ने कहा की को मुख्यमंत्री को जय श्री राम के नारे से कान फट जाता है,वही मुख्यमंत्री की ओर से धार्मिक न्यास बोर्ड का गठन करना सनातन धर्म पर एक तरह से हमला है.
*चुनाव नजदीक है ,तो बीजेपी कर रही इसपर राजनीति*
धार्मिक न्यास बोर्ड के सदस्य राकेश सिन्हा ने कहा भारतीय जनता पार्टी को लगता है कि मंदिर और मठ पर उनका अधिकार है.जिसे लेकर वे राजनीति करते रहे हैं.लेकिन अब मंदिर और मठ भारतीय जनता पार्टी की जागीर नहीं है.राकेश सिन्हा ने आगे कहा कि बयान वह लोग ही दे सकते हैं जो अनपढ़ हैं. मंदिर की कमेटी पर बीजेपी और जो यह लोग नहीं चाहते हैं कि मंदिर में कमेटी बने वही राजनीति कर रहे हैं. अगर धार्मिक न्यास बोर्ड मंदिर में कमेटी बनाती है तो मंदिर का सौंदर्यीकरण और मंदिर की देखरेख धार्मिक न्यास बोर्ड के अंतर्गत आ जाएगी. इसमें बुराई क्या है? कमोवेश राजधानी रांची समेत पूरे प्रदेश में सरकार और संतों के बीच प्रबंधन को लेकर एक जंग छिड़ी हुई है.(KR)