रांची :राजस्थान के शिक्षा नगर कोटा शहर से हर कोई वाकिफ है,हर कोई उस शहर को बखूबी जानता है.कोटा शहर में हर एक राज्य से लोग पढ़ाई करने के लिए जाते हैं, कारण सिर्फ इतना ही है कि कोटा शहर में मेडिकल और इंजीनियरिंग की कोचिंग बेहतरीन तरीके से संचालित होती है.अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के लिए लोग कोटा शहर तो जाते है लेकिन कोटा शहर अब आत्महत्या का शहर भी कहा जाने लगा है. वजह सिर्फ इतनी है कि कोटा शहर में जो बच्चे कोचिंग करने के लिए जाते हैं.उनमें से कई बच्चे अच्छे से पढ़ाई करने के बाद अच्छे कॉलेज में दाखिला भी ले लेते हैं. लेकिन कई बच्चे पढ़ाई का प्रेशर नहीं झेल पाते हैं और नतीजा स्टूडेंट्स आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाते हैं.बता दें कि ताजा मामला कोटा शहर से सामने आया है. खबर है कि 16 वर्षीय ऋचा सिंह जो मूल रूप से झारखंड की राजधानी रांची की रहने वाली है,वो नीट की तैयारी करने के लिए कोटा शहर गई थी,लेकिन अपने हॉस्टल के कमरे में फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली. घटना मंगलवार रात 10.30 बजे की है.विज्ञान नगर थाना पुलिस फिलहाल मामले की जांच कर रही है.आपको बता दें कि इस साल लगभग 24 स्टूडेंट के आत्महत्या का मामला कोटा से सामने आया है.
*मई माह में ऋचा हॉस्टल में हुई थी शिफ्ट*
राजधानी रांची से शिक्षा नगरी कोटा ऋचा बहुत सपने लेकर गई थी.लेकिन सपने अधूरे रह गए. पुलिस की ओर से बताया गया है कि ऋचा मई महीने में हॉस्टल में शिफ्ट हुई थी. हॉस्टल की सहेलियों का दावा है कि लाख खटखटाने के बाद जब दरवाजा अंदर से नहीं खुला तो सहेलियों ने हॉस्टल में मौजूद लोगों को इसकी जानकारी दी
*एक माह से पिता नहीं कर रहे थे बात*
ऋचा सिंह मई महीने में कोटा के हॉस्टल में शिफ्ट हुई थी.लेकिन छानबीन के बाद यह बताया जा रहा है कि रिचा सिंह के पिता 1 महीने से ऋचा से बात नहीं कर रहे थे. छात्रा कोटा के विद्याधर नगर थाना क्षेत्र के इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पलेक्स स्थित हॉस्टल में रहती थी. घटना के दौरान छात्रा के रूम का गेट खुला था. छात्रा को उसके रूममेट ने फंदे से झूलता देखा जिसके बाद उसने शोर मचाया और हॉस्टल में मौजूद लोगों को इसकी जानकारी दी.
*कोटा शहर में आत्महत्या के मामले*
कोटा शहर में स्टूडेंट और परिवार वाले कई अरमानों के साथ उन्हें भेजते हैं ताकि उनके बच्चे उनका नाम रोशन करें लेकिन कोटा शहर में लगातार स्टूडेंट आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहे हैं. बताया जाता है कि कोटा शहर में पढ़ाई के प्रेशर से कई बच्चे परेशान भी रहते हैं. कई बच्चे उस परेशानी से उबर तो जाते हैं लेकिन कई बच्चे उस परेशानी से अपने आप को खत्म करने का ठान लेते हैं, आंकड़े बताते हैं कि 2023 में लगभग 25 स्टूडेंट ने आत्महत्या की है. पढ़ाई को लेकर मानसिक तनाव से बच्चे अक्सर इस तरीके का कदम उठा लेते हैं.
*परिवारवालों को अपने बच्चों को समझने की जरूरत*
टेक्नोलॉजी की इस दुनिया में हर कोई समय के साथ आगे बढ़ना चाहता है और यही वजह है कि लोग एक दूसरे से अपनी तुलना कर बैठते हैं.अक्सर परिवारवाले भी अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से कर बैठते हैं.कई बच्चे इसको सकारात्मक तरीके से लेते हैं ,तो कई बच्चे अवसाद में हैं. बच्चों को ऐसा लगने लगता है कि शायद वह अपने परिवार वालों की उम्मीद पर खरा नहीं उतर पा रहे हैं,और इसलिए बच्चे ऐसा कदम उठा लेते है.मनोचिकित्सक
परिवार वालों से अनुरोध करते हैं कि आप अपने बच्चों को समझें और उन्हें समझाएं कि जितना उनसे बन पड़ता है, वह उतना ही पढ़ें और अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से ना करें. बच्चों को यह बताए कि जिसमे उनका मन लगता है वो वही करें.