रांची : झारखंड में एक अलग सामाजिक आंदोलन शुरू हो गया है। आदिवासी समाज इस बात से आशंकित है कि कहीं कुड़मी महतो समाज उसका हक़ नहीं छीन ले।कुड़मी समाज एसटी श्रेणी में शामिल करने की मांग कर रहा।उसका तर्क है कि 1950 तक वे लोग आदिवासी सूघी में थे। लेकिन साजिश के तहत उसे हटा दिया गया। इसलिए कुड़मी महतो भी आंदोलन कर रहा है।रेल रोको आंदोलन पिछले सितंबर को किया गया।
आदिवासी समाज इस बात से चिंतित है कि कुड़मी महतो समाज उसका अस्तित्व खत्म कर देगा। रविवार को मोरहाबादी मैदान में विभिन्न आदिवासी संगठन के प्रतिनिधि अलग-अलग जिलों से यहां पहचे उनके संबोधन में साफ़ कहा कि कुर्मी महतो को आदिवासी वर्ग में शामिल नहीं किया जा सकता है।कुड़मी समाज कभी आदिवासी नहीं था।
इस तरह झारखंड में एक बड़ा सामाजिक तनाव उत्पन्न हो सकती है।इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए।














